मंगलवार, 20 अप्रैल 2010
मैं भी आपकी दुनिया में यारों
दोस्तों मैं भी ब्लॉग की दुनिया में कदम रख रहा हूँ। आपसे इसमें मदद की दरकार हर कदम पर रहेगी, आखिर अनपढ़ जो ठहरा.... अभी मुस्किल यह है कि चाह कर भी लम्बी -चौड़ी बातें नहीं कर सकता। वजह है में फोनेटिक की- बोर्ड यूज करता रहा हूँ और यहाँ किस फॉण्ट में कम्पोज़ कर रहा हूँ पता नहीं। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जिस तरह फोनेटिक की बोर्ड पर सहजता से कम कर लेता हूँ , इस पेज पर भी वैसे ही काम कर लूँ। उम्मीद है कि आप मित्रों में कोई मुझे इसकी जुगत भी बता देगा। अब थोडा सा परिचय अपने बारे में, भइया अपन का नाम सुरेश पाण्डेय है और हाल फिलहाल का पता ठिकाना है -पीपुल्स समाचार जबलपुर। यह कब तक रहेगा मैं नहीं जानता। एक बार फिर से इस शहर में शरण मिली है, लेकिन इस बार परिस्थितियाँ कुछ हट कर हैं, जैसा सोच कर आया था, सब वैसा ही नहीं है -बस यहीं मुझे किसी शायर की यह रचना याद आ गई - हर किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, किसी को जमीं नहीं मिलती तो किसी कप आसमां नहीं मिलता। खैर कुछ कहने-सुनने के इरादे से इस मैदान यानी कि ब्लॉग की फील्ड में डटे रहने का इरादा है। आगे कि उपर वाला जाने। इन्सान सोचता कुछ है, होता कुछ है। स्मृतियों को सहेजने की कोशिश इस शहर में करूँगा।वैसे १४ दिसम्बर को यहाँ आने के बाद से सिवाय अरबिंद बिन्जोलकर के घर को छोड़ कर कहीं और नहीं जा सका। मुझे बहुत कुछ सिखाने वाले श्याम कटारे जी के घर तक जाने का मौका नहीं लग सका। धूप- अलाली इसकी वजह है, और उलाहने के भय से फ़ोन भी नहीं लगा पाता।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है|
जवाब देंहटाएं